चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़। सेक्टर-26 स्थित पुलिस अस्पताल में ओरल रिहाइड्रेशन पर डॉ. अभिषेक कपिला ने लेक्चर दिया। उन्होंने लोगों को बताया कि गर्मी के मौसम में गर्म हवा और बढ़े हुए तापमान से लू लगने (हीटस्ट्रोक) का खतरा बढ़ जाता है। यदि अचानक शरीर का तापमान बढ़ जाए या फिर सिर में तेज दर्द हो, तो सावधान हो जाना चाहिए। ये दोनों लू लगने के मुख्य लक्षण होते हैं। अक्सर लोग डिहाइड्रेशन को ही हीटस्ट्रोक समझने की भूल कर बैठते हैं। डिहाइड्रेशन से कहीं ज्यादा गंभीर और खतरनाक होता है हीटस्ट्रोक। हीटस्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट से अधिक हो जाता है। लू लगने के किडनी, दिमाग और दिल पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
डॉक्टर कपिला ने कहा कि हीट स्ट्रोक होने का पता चल जाए तो पीडि़त व्यक्ति को तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं। पानी पीने के लिए दें। बेहोशी की हालत में जरा भी देर ना करें। किसी भी पास के हॉस्पिटल में ले जाएं, ताकि आईवी फ्लूड्स दिया जा सके। शरीर को आइस पैक से ठंडा करने की कोशिश करें। शरीर पर स्पंज या स्प्रे करें। गीले कपड़े से शरीर को पोंछते रहें। प्रतिदिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। तरल पदार्थ अधिक लें। मौसमी फलों से तैयार जूस पिएं। ठंडे पानी में स्नान करें। जितना हो सके आराम करें। देर तक घर से बाहर रहने से बचें।
हल्का, पौष्टिक और आसानी से पचने वाला भोजन करें। मौसमी फल जैसे खरबूजा, तरबूज, नारियल, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च में पानी की मात्रा अधिक होती है। इन्हें प्रतिदिन अपनी डाइट में शामिल करें। हल्के रंग और ढीले-ढाले कपड़े पहनें। कॉटन फैब्रिक के कपड़े गर्मी के दिनों में पहनना सबसे आरामदायक होता है। सुबह 11 बजे से पहले ही घर से निकलें। दिन में 11 से 3 बजे का समय गर्मी में निकलने के अनुकूल नहीं होता, क्योंकि इस समय धूप बहुत तेज होता है। निकलना भी है, तो छाता लें या टोपी पहनें। एल्कोहल, शुगरी ड्रिंक्स और कैफीन लेने से बचें।
इनसे डिहाइड्रेशन हो सकता है। हीटस्ट्रोक बहुत ही गंभीर स्थिति है। कभी-कभी लोग जिसे हीटस्ट्रोक समझ बैठते हैं, वह अक्सर में हीट सिंड्रोम होता है। हीट सिंड्रोम के कई लक्षण होते हैं। इसमें पसीना बहुत अधिक आता है, रक्तचाप में गिरावट आ जाती है, हीट क्रैम्प और डिहाइड्रेशन जिसमें मतली, चक्कर आना, कमजोरी और सुस्ती शामिल हो सकती है।