चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के उर्दू विभाग की ओर से स्टूडेंट सेंटर ‘आईए उर्दू सीखें’ शीर्षक से एक दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया। प्रो. अशोक कुमार (डीन फैकल्टी ऑफ लैंग्वेजेज) ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की और कहा कि सभी भारतीय भाषाओं को समान अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि उर्दू एक ऐसी भाषा है जो न केवल हमारी विभिन्न भाषाओं के बीच सेतु का काम करती है बल्कि एक भाषा से दूसरी भाषा के बीच एक मजबूत बंधन भी स्थापित करती है। उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. अली अब्बास ने इस अवसर पर कहा कि उर्दू और फारसी भाषा केवल एक भाषा नहीं बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब की गतिशील प्रतीक है, उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सभ्यता और इतिहास को पढऩे और समझने के लिए उर्दू और फारसी भाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
डॉ. जऱीन फातिमा ने छात्र केंद्र पर मौजूद बड़ी संख्या में छात्रों को उर्दू भाषा और साहित्य की ओर आकर्षित किया और कहा कि आप उर्दू भाषा लिखना पढऩा सीखें और पंजाबी भाषा की शाहमुखी लिखावट को आसानी से समझें। उन्होंने उर्दू कविताएँ भी पढ़ीं। फारसी भाषा के शिक्षक डॉ जुल्फिकार अली ने फारसी भाषा और साहित्य के बारे में बात करते हुए कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के समय में फारसी भाषा पंजाब की आधिकारिक भाषा थी, यहां की कविताओं और साहित्य में फारसी शब्द अभी भी काफी हद तक उपयोग किए जाते हैं।
हम सभी को अपनी मातृभाषा के साथ-साथ उर्दू और फ़ारसी भी सीखनी चाहिए ताकि हम अपनी भाषा की साझी विरासत से अच्छी तरह परिचित हो सकें। इस कैंप को सफल बनाने में उर्दू विभाग के खलीकुर्रहमान, रिजवाना कौसर, जसप्रीत सिंह, खुर्शीद अंसारी, जहांगीर, मोहम्मद सलीम, जसप्रीत कौर, हरवीर कौर, जाप जी कौर आदि ने अहम भूमिका निभाई।