गुरू तेग़ बहादुर जी के प्रकाश पर्व पर मुख्यमंत्री ने संग्रहालय किया लोगों को समर्पित
आनन्दपुर साहिब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को नवीनीकरण के बाद गुरू तेग़ बहादुर संग्रहालय लोगों को समर्पित किया और लोगों को नौवें पातशाह द्वारा दिखाए गए धर्म निरपेक्षता और मानवता की सेवा के ऊँचे एवं शुद्ध विचारों को अपने जीवन में अपनाने के लिए कहा। यहाँ पँज प्यारा पार्क में चल रहे कार्य की समीक्षा करने के बाद में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नौवें पातशाह द्वारा बसाया गया पवित्र शहर श्री आनन्दपुर साहिब सामाजिक समानता एवं धर्म निरपेक्षता का केंद्र है, क्योंकि नौवें पातशाह ने मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। भगवंत मान ने लोगों से अपील की कि वह हिंद की चादर श्री गुरु तेग़ बहादुर जी द्वारा दिखाए गए आत्म- बलिदान के रास्ते को जि़ंदगी में अपनाएँ।
उन्होंने कहा कि नौवें पातशाह ने मानवता और धर्म निरपेक्षता के नैतिक-मूल्यों को बरकरार रखने के अलावा धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज श्री गुरु तेग़ बहादुर जी की बाणी में सभी मनुष्य के एक ही ज्योति से उपजने, आपसी-भाईचारे, सत्य के मार्ग पर चलने, बहादुरी और दया का मार्ग दिखाया गया है, जिस पर सभी को चलने की ज़रूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवता के इतिहास में धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग़ बहादुर जी द्वारा दिया गया बलिदान अद्वितीय है और यह समूची मानवता के लिए एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय नौवें पातशाह को विनम्र सी श्रद्धाँजलि है, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता और सत्य के मार्ग पर चलने वाले नैतिक-मूल्यों को बरकरार रखने के लिए बेमिसाल बलिदान दिया।
भगवंत मान ने कहा कि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी का महान बलिदान हम सभी को याद रखना चाहिए और गुरू साहब की शिक्षाओं को दुनिया के कोने-कोने तक ज़रूर पहुंचाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी का जीवन और दर्शन समूची मानवता के लिए मार्ग-दर्शक है और यह संग्रहालय जहाँ एक ओर इस गौरवमयी विरासत के बारे में लोगों को अवगत करवाएगा, वहीं दूसरी ओर लोगों के आपसी रिश्तों को मज़बूत करेगा। श्री आनन्दपुर साहिब के नींव पत्थर को भारतीय इतिहास की क्रांतिकारी घटना बताते हुए उन्होंने कहा कि नौवें पातशाह ने इसी पवित्र धरती पर सामाजिक समानता एवं धर्म निरपेक्षता की नींव रखी।
उन्होंने कहा कि दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिन्द सिंह ने इस पवित्र धरती पर ख़ालसा पंथ की नींव रखी, जो देश में जात-पात रहित धर्म निरपेक्ष समाज को कायम रखने के लिए मील पत्थर साबित हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि यह संग्रहालय अति-आधुनिक तकनीक और ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति से लैस होने के बाद लोगों को फिर समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले संग्रहालय में गुरू साहिब के जीवन और शिक्षाओं के बारे में दीवारों पर लगी पेंटिंग के द्वारा ही दिखाया जाता था और ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति और विशेष प्रकाश का कोई प्रबंध नहीं था। भगवंत मान ने कहा कि इस संग्रहालय के नवीनीकरण का काम पिछले एक साल के दौरान बहुत तेज़ गति से चला और इस पर तकरीबन 2 करोड़ की लागत आई है।